दृढ़ संकल्प है सफलता का मूल मंत्र Determination is the key to success

यूँ ही नहीं मिलती राही को मंजिल …. एक जुनून सा दिल में जगाना होता है,
पूछा चिड़िया से कैसे बनाया आशियाना, बोली भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार ……..तिनका तिनका उठाना पड़ता है।।

ये पंक्तियों उन लोगों के लिए सटीक उत्तर है जो हमेशा यह शिकायत करते हैं कि हमारी किस्मत अच्छी नहीं थी, इसलिए अपनी मंजिल को हासिल नहीं कर सके या अपने करियर में और लोगों से पिछड़ गए। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपनी नाकामियों के लिए अपनी परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं।
क्या आप जानते हैं कि एप्पल कम्पनी के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स के परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण अपना कॉलेज ड्रॉप-आउट करना पड़ा था। उन्हें उन्हीं की कम्पनी से निकाल दिया गया था, वह दुर्लभ पेंक्रियाटिक कैसर से ग्रस्त थे। इस सबके बावजूद उन्होंने सफलता को ऊँचाइयों को छूआ, क्योंकि उनकी सफलताओं का मूलमंत्र है- ‘stay hungry, stay foolish’
मोटर न्यूरॉन जैसी बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद, महानतम वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हाकिंग ने, ‘ब्रहांड’ के रहस्यों का पता लगाया, ब्लैक होल के रहस्यों को सुलझाया। इसके अलावा उन्होंने  ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री आॅफ टाइम’ और ‘दयूनिवर्स इन अ नटशेल’  जैसी बेस्ट सेलर पुस्तकें भी लिखी।

इन महान् व्यक्तित्वों को जीवनियों से इतना तो स्पष्ट हो जाता है कि विकट से विकट परिस्थिति भी इंसान के बुलंद हौसलों के सामने नतमस्तक हो जाती है। हॉकिंग ने एक बार कहा था, ‘जिंदगी कितनी भी कठिन क्यों न लगे, आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते हैं और उसमें सफल हो सकते हैं। यह मायने रखता है कि आप हार न मानें।’  दृढ़-संकल्प शक्ति के सामने न तो आपके संसाधनों का अभाव अवरोध बन पाता है और न ही आपकी क्षमताएँ। इस संदर्भ में ‘The Monk Who Sold His Ferrari’ के लेखक रोबिन शर्मा ने कहा है कि “I CAN is more important than your IQ”।

आशय यह है कि अपनी असफलताओं के लिए अपने भाग्य को दोषी ठहराने से बेहतर है कि हम अपने प्रयासों में हुई त्रुटियों का पता लगाएँ, अपनी कमियों को दूर करें व अपनी शक्तियों को और सुदृढ़ करें। किसी ने सही ही कहा है ‘People who study others are wise but those who study themselves are enlightened’। कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि कुछ लोग अपनी असफलताओं को अपने से चिपकाकर जीने लगते हैं, वे असफलता से उत्पन्न अवसाद से स्वयं को मुक्त ही नहीं कर पाते। ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि भूतकाल में मिली असफलताओं में गोते लगाने से वे क्या हासिल कर सकते हैं? असफलताओं को गले लगाने से बेहतर यह होगा कि हम उनसे सबक लें और जीवन में आगे बढ़ जाएँ। पूर्व राष्ट्रपति मिसाइलमैन ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक ‘My Journey: Transforming Dreams into Actions’ में जिक्र किया है कि वह पायलट बनना चाहते थे, किन्तु वह अपने सपने के एकदम करीब पहुँच कर चूक गए थे। इंडियन एयरफोर्स में उस समय 8 सीटें खाली थी और इंटरव्यू में कलाम का नम्बर 9वाँ आया था। इस असफलता के बावजूद कलाम ने अपने करियर का इतिश्री नहीं मान लिया था? वस्तुत: वह यहीं नहीं रुके, बल्कि भिन्न परिदृश्य में अनेक मुकाम हासिल कर भारत रत्न बन गए। यहाँ रोबिन शर्मा का निम्न कथन विचारणीय है-
‘We are all here for some special reason. Stop being a prisoner of your past. Become the architect of your future.’

खोल दो पंख मेंरे, अभी और उड़ान बाकी है…………………..
जमीं नहीं है मंजिल मेरी …………………अभी तो पूरा आसमान बाकी है।

Related Blog